कलर थेरेपी
यदि आप स्नातक हैं और रंगों से आपको बेहद लगाव है तो आप Colour Therapist बन सकते हैं और अपना भविष्य सवार सकते हैं।
COLOUR THEREPY क्रोमो थेरेपी या रंग चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है। कलर थेरेपी एक ऐसी पद्धति है जिसमें सात रंगों हरा, नीला, पीला, नारंगी, बैंगनी, लाल तथा काला के स्तर को नियंत्रित करके आंतरिक तथा बाहरी बीमारियों का अचूक इलाज किया जाता है। रंग किसी की भावनाओं मूड को प्रभावित करता है। इसी के कारण वस्त्रों का चयन भवन की दीवारों के रंगों का चयन सजावट इत्यादि में रंगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उसी प्रकार रंग का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। रंगों के असंतुलन का इलाज करते समय कलर थैरेपिस्ट विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग करते हैं। कलर थैरेपी या रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है जिसके कारण रोग का उपचार आसानी से हो जाता है। एक्जिमा, उच्च, रक्तचाप, अवसाद और मासिक धर्म समस्याओं सहित कई और समस्याओं का इलाज करने के लिए COLOUR THEREPY का उपयोग किया जाता है।
कलर थेरेपिस्ट बनने के लिए योग्यता क्या है
कलर थेरेपिस्ट बनने के लिए क्रोमो थेरेपी में स्नातक करना होता है। कलर थेरेपिस्ट बनने के लिए रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं जीव विज्ञान मैं मूल ज्ञान होना आवश्यक होता है। भारत में केवल कुछ ही संस्थान है जो कलर थेरेपिस्ट का कोर्स कराते हैं। लेकिन एक विषय के रूप में कलर थैरेपी को नेचुरोपैथी योग विज्ञान जैसे कोर्स में पढ़ाया जाता है। अगर आप चाहे तो 6 माह का डिप्लोमा इन जैम टेली क्रोमो थेरेपी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त 2 साल का बेचलर इन जैम टैली क्रोमो थेरेपी (DGTC) कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त 2 साल का बैचलर इन जैम टैली क्रोमो थेरेपी (BGTCT) भी कर सकते हैं। आप में योग्यता के अलावा कुछ कौशल भी होना जरूरी है जैसे कलर चिकित्सा में वास्तविक रुचि, लोगों की मदद करना, रंगों के साथ रिसर्च करने का जुनून, व्यक्तियों पर प्रत्येक रंग के प्रभाव की जागरूकता, संवेदनशीलता, बेहतर संचार, कौशल और समझ इत्यादि।
कलर कैसे कार्य करती है
जैसा की आप सब जानते हैं रंग प्रकाश और उर्जा है। हमारे जीवन में रंगों का बहुत महत्व होता है। यह हमारे शरीर और मन के भावों को भी प्रभावित करते हैं। प्रत्येक रंग हमारे मन पर अलग-अलग प्रभाव डालता है।जैसे उदासी, खुशी, अवसाद, जुनून, क्रोध, गर्मी इत्यादि। इस थेरेपी में विभिन्न रंगों के प्रकाश के जरिए मनुष्यों के फिजिकल, इमोशनल, मेंटल लेवल और स्प्रिचुअल को संतुलित किया जाता है। इससे शरीर में उर्जा का संचार होता है जो ऊर्जा केंद्र का संतुलन बनाए रखता है। यह एक विशेष रंग को देखकर आंखों के माध्यम से भी किया जा सकता है। हालांकि आंखों पर किसी भी तनाव से बचने के लिए यह अत्यंत सावधानी से किया जाना चाहिए।
Colour Therepy से इलाज
हरा रंग: यह रंग शरीर और दिमाग दोनों को शांत और स्थिर बना रखता है। हरा रंग त्वचा रोग और हाई ब्लड प्रेशर के उपचार में फायदेमंद होता है।लाल रंग: यह रंग ब्लड प्रेशर हृदय गति तथा सास को बढ़ा सकता है।हमारी इंद्रियों को उत्तेजित करता है। यह शक्ति उर्जा तथा जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाता है। गर्म होने के कारण यह दर्द की चिकित्सा के लिए बेहतर माना जाता है।
नीला रंग: ब्लड प्रेशर को धीमा करता है तथा हृदय गति और सांस को काबू में रखता है यह रंग शीतलता प्रदान करता है।
गुलाबी रंग: यह शरीरकी मांसपेशियों को आराम देता है। गुलाबी रंग आपकी आंखों और दिमाग को सुकून भी देता है।
पीला रंग: हमारे शरीर में उर्जा को बढ़ाता है और स्पष्टता आत्मसम्मान विवेक का प्रतीक माना जाता है। पेट खराब होने और खाज-खुजली के उपचार में भी यह रंग बहुत उपयोगी है।
नारंगी रंग: निराशा को दूर करता है। थकावट को मिटाता है नारंगी रंग अस्थमा गुर्दा संक्रमण ब्रोंकाइटिस आदि में काफी उपयोगी होता है।
काला रंग: आत्मविश्वास आत्मविश्वास को बढ़ाता है और निराशा को दूर करता है।
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